Saurabh Patel

Add To collaction

लेखनी कहानी -01-Sep-2022 जन एकता की भाषा हिंदी


बगैर हौसलों के मेरी शायरियों पे मत जाना
तुम गिर जाओगे सच की बुलंदियों पे मत जाना

वो बिठाने से ज्यादा गिराने में माहिर है
फकत पैरों के भरोसे सियासत की कुर्सियों पे मत जाना

जो लाए हैं ख़बर अख़बार के लिए उनके हाल ठीक नहीं
मुल्क के हालात देखने अख़बार की सुर्खियों पे मत जाना

तेर लिए दिल लगाने का अंजाम अच्छा भी हो सकता है 
हर बार इश्क़ में इश्क़ की कहानियों पे मत जाना

जब से देखा है टूटकर गिरे हुए सितारे को जमीं पे"सौरभ"
ख़ुद से कहने लगा हूं आसमान की बुलंदियों पे मत जाना।



रचना -१ हिंदी प्रतियोगिता 

   20
17 Comments

Supriya Pathak

09-Sep-2022 12:06 AM

Achha likha hai 💐

Reply

Saurabh Patel

03-Sep-2022 01:31 PM

Thanks

Reply

Renu

01-Sep-2022 10:55 PM

👍👍

Reply

Saurabh Patel

02-Sep-2022 01:13 AM

Thanks

Reply